देश के सबसे महत्वपूर्ण और तेज़ी से बन रहे हाईवे प्रोजेक्ट्स में से एक Delhi-Dehradun Expressway हर दिन चर्चा का विषय बना हुआ है. लेकिन अब यह प्रोजेक्ट सिर्फ कनेक्टिविटी नहीं बल्कि किसानों की किस्मत बदलने का जरिया भी बनता जा रहा है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सैकड़ों गांवों में किसानों की ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है और इसके बदले उन्हें मिल रही है करोड़ों की राशि. ऐसे में लंबे समय से जो किसान अपनी जमीन के आने वाले पैसे पर निर्भर थे, अब उनके लिए आर्थिक स्थिति मजबूत करने का रास्ता खुल गया है.

क्या है Delhi-Dehradun Expressway प्रोजेक्ट
Delhi-Dehradun Expressway लगभग 210 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे है जो दिल्ली को यूपी होते हुए देहरादून से जोड़ेगा. इसे तीन फेज में बांटा गया है और यह पूरी तरह से एक्सेस-कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे होगा. यह प्रोजेक्ट सिर्फ समय की बचत ही नहीं बल्कि नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत भारत के आर्थिक विकास को गति देने वाला प्रोजेक्ट भी है.
कितना अच्छा मिलेगा मुआवजा
इस एक्सप्रेसवे के लिए जो ज़मीन अधिग्रहण की जा रही है वह मुख्य रूप से बागपत, मेरठ, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर (यूपी) और हरिद्वार, देहरादून (उत्तराखंड) जिलों के गांवों से ली जा रही है. किसानों को उनका मुआवजा वर्तमान सर्किल रेट से 2 से 4 गुना तक मिल रहा है. यानी जिन जमीनों की बाजार कीमत पहले 40–50 लाख रुपये प्रति बीघा थी, अब उसी के लिए किसानों को 1 से 2 करोड़ रुपये तक मिल सकते हैं. कुछ गांवों में किसानों की ज़मीन कमर्शियल ज़ोन में आती है जिससे उन्हें और ज्यादा भुगतान मिला है.
जमीन बेचकर बदली किस्मत
मेरठ के सरधना, मुज़फ्फरनगर के पुरकाज़ी और बागपत के बड़ौत क्षेत्र जैसे इलाकों में दर्जनों किसान अब करोड़पति बन चुके हैं. कई ने नई कारें ले ली हैं जबकि कुछ ने अपने लिए पक्के घर बनवा लिए हैं. पहले जहां सिर्फ खेतों में काम का सपना था, अब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने और बिजनेस शुरू करने की बातें हो रही हैं. दिल्ली और देहरादून से कनेक्टिविटी बढ़ने से भूमि का भविष्य में और दाम बढ़ने का अनुमान है.
युवाओं में जोश और गांवों में नई उमंग
एक्सप्रेसवे से निकटता का लाभ यह भी है कि आसपास के गांवों में अब रोजगार बढ़ेगा. ढाबे, पेट्रोल पंप, वेयरहाउस और फास्ट-ट्रैक बिजनेस शुरू होंगे जिससे लोगों को लोकल लेवल पर नौकरी और काम के मौके मिलेंगे. युवाओं में इसके लिए जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है.
समय और दूरी दोनों में बचत
इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद दिल्ली से देहरादून का सफर महज 2.5 से 3 घंटे में पूरा किया जा सकेगा. पहले यह दूरी 5–6 घंटे लगती थी. ट्रैफिक कम होगा, रोड पर एक्सीडेंट्स घटेंगे और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को नई उड़ान मिलेगी.
पर्यावरण को होगा लाभ
इस प्रोजेक्ट में लगभग 12 किलोमीटर की टनल और 340 हेक्टेयर ग्रीन बेल्ट तैयार की जा रही है जिससे प्राकृतिक आपदा और प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके. सरकार का मानना है कि यह एक्सप्रेसवे आने वाले वर्षों में ई-कॉमर्स और टूरिज्म को भी बढ़ावा देगा.
केंद्र और राज्य सरकार की पहल
उत्तरप्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए किसानों के समर्थन में विशेष कैम्प लगाए. शिकायतों के समाधान के लिए हेल्पलाइन, लोकल तहसील पर टीम और सीधा संवाद अभियान जैसी पहलें की गईं. भूमि स्वामियों को मुआवजा समय पर दिया जा रहा है और अधिकतर किसानों को डिजिटल ट्रांसफर के जरिए डायरेक्ट पेमेंट हुआ.