उत्तर प्रदेश में अब एक और नई रेलवे लाइन बनने जा रही है. इस बार रेलवे ने फैसला लिया है कि करीब 63 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाई जाएगी, जिससे कुछ ज़िले आपस में सीधे जुड़ जाएंगे. सबसे बड़ी बात ये है कि इस लाइन के लिए सर्वे भी शुरू हो चुका है और जमीन नापी जा रही है. इस प्रोजेक्ट में कई किसानों की ज़मीन ली जाएगी और उसके बदले में उन्हें बढ़िया मुआवज़ा भी मिलने वाला है. चलो जानते हैं कि ये लाइन कहां बनेगी, किसको क्या फायदा होगा और कब से काम शुरू होगा.

किन-किन जिलों से होकर जाएगी ये लाइन
रेलवे की ये नई लाइन यूपी के कुछ खास जिलों को जोड़ने वाली है. खबर के हिसाब से ये लाइन या तो अमरोहा से संभल, या मैनपुरी से इटावा, या फिर किसी और नजदीकी औद्योगिक इलाके से गुजरेगी. जो भी होगा, इतना तय है कि ये गांव-शहरों के बीच सीधा रेल रास्ता जोड़ेगी जिससे वहां के लोगों को सफर में काफी राहत मिलेगी.
जमीन का सर्वे और सीमांकन चालू
रेलवे की टीम ने गांवों में जाकर जमीन की नपाई शुरू कर दी है. किसान भाईयों की ज़मीन को नापा जा रहा है कि कितनी ज़रूरत पड़ेगी. जवानी गांव, पुरवा, अलीगंज जैसे इलाकों में सर्वे टीमें पहुंच भी चुकी हैं और किसानों से बात कर रही हैं. रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है, ताकि जमीन लेने से पहले सब दस्तावेज़ सही हों और किसी को पछतावा न हो.
कैसे-कैसे होंगे फायदे
- जिन लोगों को अभी तक ट्रेन पकड़ने के लिए 20-25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, अब उनके गांव के नजदीक से ही ट्रेन गुजरेगी.
- नए स्टेशनों की वजह से वहां दुकानें, ढाबे, ऑटो की सुविधा और बाकी कारोबार भी शुरू होंगे.
- खेती-बाड़ी करने वालों को भी फायदा होगा क्योंकि अब उनका माल बड़े शहर तक जल्दी पहुंच सकेगा.
- पढ़ाई करने वालों, मरीजों और दफ्तर जाने वालों को रोज़ाना की ट्रैवल में बहुत सुगमता मिलेगी.
रोजगार और कारोबार भी बढ़ेगा
रेलवे लाइन जब बिछेगी तो गांव के ही मज़दूरों को काम मिलेगा. पत्थर तोड़ने से लेकर ट्रैक बिछाने तक के सारे कामों में गांव के आदमी को पैसा कमाने का मौका मिलेगा. बाद में स्टेशन बनने पर ऑटो वालों, होटल चलाने वालों और ट्रांसपोर्ट वालों को भी रोज़गार मिलेगा. यानी ये लाइन सिर्फ रेल की नहीं, रोजगार की भी पटरी है.
किसानों को मिलेगा बढ़िया मुआवज़ा
जो किसान अपनी जमीन देने जा रहे हैं, उन्हें सरकार बाजार से ज्यादा भाव पर मुआवज़ा देने की प्लानिंग में है. कुछ इलाकों में तो ज़मीन की कीमत अब ₹25–30 लाख प्रति बीघा तक पहुंच रही है. सरकार की कोशिश है कि किसानों को पैसा भी मिले और साथ-साथ पुनर्वास की सुविधा भी दी जाए.
पर्यावरण और सुरक्षा का भी ध्यान
रेलवे इस बार ऐसी योजना बना रही है जिसमें पेड़ों को नुकसान न हो. साथ में लाइन के आसपास ग्रीन बेल्ट लगाने, पानी के बहाव की व्यवस्था रखने और रेलवे क्रॉसिंग पर बैरिकेड या ओवरब्रिज बनाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है.
कब से शुरू होगा असली काम
अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला तो 2026 में इसका निर्माण शुरू हो जाएगा. सर्वे 2025 तक चला सकता है. रेलवे चाहता है कि 2028 या ज्यादा से ज्यादा 2029 तक इस पूरे ट्रैक को चालू कर दिया जाए, यानी ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.